मुसलमान का ईमान


"मुसलमान का ईमान" 
मुसलमान का ईमान एक मोबाइल ठीक कराना था, चार्जिंग सॉकेट में प्रॉब्लम थी, तो बाज़ार की तरफ गया जहां मोबाइल रिपेयर की दुकाने है, यहाँ ज़्यादातर दुकाने ताजाकि और कज़ाकिस्तानी मुस्लिम्स की है जो मोबाइल और इलेक्ट्रिक आइटम्स रेपेयर करते है, एक दुकान पर पंहुचा और पूछा यह मोबाइल ठीक कराना है, हो सकता है? मोबाइल हाथ में लेते हुए उसने पूछा, " कहा इंडिया से हो ?"  मैंने कहा " हाँ " उसने आगे पूछा " मुस्लिम ?" मैंने कहा "हाँ "  फिर उसने सलाम किया , मैंने सलाम का जवाब दिया, उसने मोबाइल वर्कर को दिया, अपनी लैंग्वेज में कुछ बोला, वर्कर मोबाइल देखने लगा, और वह बंदा मुझसे बात करने लगा ज़ाकिर नाइक के बारे में बोला उसे सुनता हूँ मेरे क्रिस्टियन दोस्तों को भी उसके वीडियो दिखता हूँ. यह बात चल रही थी, तभी उसके वर्कर ने कुछ बोला, फिर वह बंदा मुझसे बोला, 15-25 मिनट लगेगा ठीक हो जायेगा और 1200 रुबले लगेंगें, मैंने कहा नहीं 1200 तो बहुत ज़ियादा है, इतने का काम थोड़ी है, फिर वह बोला नहीं यह Type C है इसलिए कॉस्टली है, चलो आप भी मुस्लिम हो, 1000 रुबले दे दो , मैंने कहा नहीं यह ज़ियादा है मैं 800 दे सकता हूँ, उसने मना कर दिया बोला नहीं 800 में नहीं होगा 1000 तो मैंने इसलिए बोलै की आप भी मुस्लिम ही हो, मैंने मोबाइल वापिस लिया और आगे बढ़ गया, फिर एक और दुकान पर पंहुचा, पहुंच कर मोबाइल दिया, दुकानदार ने मोबाइल देखा और बोला 700 रुबले लगेंगें हो जायेगा, मैंने बोला ठीक है कर दो, उसने कहा 20-25 मिनट लगेंगें, मैं वही रुक गया उसका वर्कर मोबाइल ठीक करने लगा, तभी उसने पूछा इंडिया से हो ? मैंने कहा हाँ, फिर थोड़ा बात चित हुई तो उसे पता चला की मैं मुस्लिम हूँ, तो उसने कहा आप लोगो के रमज़ान चल रहे है आप रखते हो, मैंने कहाँ हाँ, उसने कहाँ हमारे क्रिस्टियन के भी फ़ास्ट चल रहे है मैं भी रखता हूँ, लेकिन हमारे फ़ास्ट आपके रमजान की तरहां मुश्किल नहीं होते, आप के रमज़ान तो बहुत टफ होते है, इतनी देर में मोबाइल ठीक हो गया, मोबाइल चेक किया, मैंने उसे 700 रुबले निकल कर दिए , उसने 100 रुबले वापिस कर दिए, मैंने पूछा तुमने 700 कहा था, उसने कहा हाँ, लेकिन 100 रुबले आप को डिस्काउंट आप रोज़े से हो,आप से ज़ियादा लूंगा तो गॉड नाराज़ हो जायेगा उसने हँसते मुस्कुराते बोला और 100 रुबले वापिस कर दिये, 1200 रुबले में जो काम एक वह  कर रहा था और 200 का डिस्काउंट दे कर मुस्लिम होने का अहसान जाता रहा था, वही काम एक इस शख्स ने 700 रुबले में किया और रोज़े का 100 रुबले डिस्काउंट भी दे दिया यह मेरे साथ एक क्रिस्टियन का सलूक था. और पहले वाला एक्सपेरिएंस एक मुस्लिम के साथ। पूरी कौम को किसी एक शख्स से नहीं तोला जा सकता लेकिन यह भी सच है की मुसलमानों में अब ऐसे लोगो वाला पढ़ला बहुत भारी है  मुसलमान को कोई हक़ ही नहीं की वह किसी दूसरी क़ौम को इलज़ाम दे,जो ज़िल्लत और सलूक आज दुनिया में मुसलमानों के साथ हो रहा है यह उसने खुद कमाया है. किसी ने कोई साजिश नहीं की, दुनिया भर की क़ौमों में साजिश तलाशने की बजाये मुसलमानों को अपने ईमान तलाशने की ज़रूरत है.  ज़की अंसारी ( Russia) बात चित रशियन में हुई थी, उसका ट्रांसलेशन लिखा है 20-04-2022 

 

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