जुदा हुआ जो मांग से,

ज़ालिमों की मौत बन गया,

हर ज़ख्म हमारा, हर ज़ख्म हमारा, 

ओप्रेशन, सिन्दूर बन गया,

ओप्रेशन, सिन्दूर बन गया,

 

जान पर खेल कर ये फ़र्ज़ निभाना है।

वतन के दुश्मनों को सबक सिखाना है

करेगें सर्वनाश उनका 

यह क़सम खाई है,

 

के अब फौज हिन्द की, 

अपने शबाब पर उतर आई है,

अब मौत तुम्हारी,  अब मौत तुम्हारी,

ओप्रेशन, सिन्दूर बन कर आई है,

ओप्रेशन, सिन्दूर बन कर आई है ,


हमने की हमेशा बात अमन की 

तुम्हे बात समझ नहीं आई  है, 

बहा कर ख़ून, बेक़सूरों का,

यह क़यामत, तुमने ख़ुद बुलाई है,

अब चकनाचूर होंगे, आतंक तेरे इरादे, 

के अब फौज हिन्द की, अपने शबाब पर उतर आई है, 

के अब फौज हिन्द की, अपने शबाब पर उतर आई है, 


जन्नत मे लहू बहाने की सज़ा मिलेगी

तुझे अपने हर, जुर्म की सज़ा मिलेगी,

दहल जायेगा तू  हमारे इन्तेक़ाम से,

आतंकी तुझे अपने, हर आतंक की सज़ा मिलेगी,

 

के अब तेरे पापों की, मटकी, भर आई है, 

के अब फौज हिन्द की, अपने शबाब पर उतर आई है ,

अब मौत तुम्हारी, ओप्रेशन, सिन्दूर बन कर आई है,


थल से , जल से और नभ से आयेगें 

हर दिशा से , हम तेरा काल बन कर आयेगें

अब होगा कुछ ऐसा, बाद इसके इतिहास मे, 

कुछ नए पन्ने लिखे जायेगें 

टुटा बांध सब्र का, अब शामत तुम्हारी आई है,

के अब फौज हिन्द की, अपने शबाब पर उतर आई है 

 

के अब फौज हिन्द की, अपने शबाब पर उतर आई है,

अब मौत तुम्हारी, अब मौत तुम्हारी,

ओप्रेशन, सिन्दूर बन कर आई है,

ओप्रेशन, सिन्दूर बन कर आई है,

By Mohammed Zaki Ansari 

©mohammed zaki ansari  All rights reserved.

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