दरगाह जाते हो ? आज तक कितनी दरगाहों पर गए हो? क्या आज तक कोई ऐसी दरगाह देखी है जहाँ लिखा हो "यह वली अल्लाह है, हराम की कमाई और हराम चीज़ों से परहेज़ करते है, हराम की कमाई वाले लोग यहाँ तव्वुन ना करे, न चादर चढ़ाये न फूल और न ही अपनी हराम की कमाई से चिराग़ी दे "? जहाँ यह इबारत नहीं है वह वली अल्लाह की दरगाह नहीं, एक दुकान है!! एक चादर पर बच्चे, नोकरी, कोई भी मुराद यहां तक की जन्नत भी मिल जाती है।"
0 comments:
Post a Comment