ईद की सेवइयां होली की गुजिया
क्रिसमस का केक, गुरुद्वारे का लंगर
सब कुछ अच्छा लगता है।
हिन्दू हो मुस्लिम हो या हो कोई मज़हब
मुझे इंसानों से मोहब्बत करना अच्छा लगता है।
नई हवा मे घुटन हे थोड़ी,
फैला रहा हे ज़हर कोई नफ़रत का, अब कुछ ऐसा लगता है
बेशक हो चीज़े नई, कोई गुरेज़ तो नही
बस एक वतन मुझे मेरा पुराना अच्छा लगता है।
कोई मज़हब कोई धर्म चाहे कोई ख़ां है
सभी को है मुहब्बत वतन से, यह मिट्टी सभी की मां है
रहे जो अपनापन दरमियां बच्चों के, मां ख़ुश रहती है
लगे जो दाग़ आचल पर लहू के, किस मां को अच्छा लगता है ।
देगें क्या विरासत आने वाली पीढ़ी को, यह हम पर है
बना दें वतन चाहे जेसा हमारा, यह हम पर है
बस इतना याद रखें हम सब , ताज हिंद के माथे पर
गंगा जमनी तहज़ीब का ही अच्छा लगता है।
ताज हिंद के माथे पर
गंगा जमनी तहज़ीब का ही अच्छा लगता है।
हिन्दू हो मुस्लिम हो या हो कोई मज़हब
मुझे इंसानों से मोहब्बत करना अच्छा लगता है।
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