Khato Kitabat :-
ख़तो किताबत की जरूरत क्यों तुम्हें महसूस होगी
तुमने शायद अपनी कोई दुनिया बसा ली होगी
ख़तो किताबत की जरूरत क्यों तुम्हें महसूस होगी
केसा होगा तेरा, घर वो जहाँ में नहीं हूँ
यह सोच कर ही खुश हो जाऊं तस्वीर मेरी लगा ली होगी
ख़तो किताबत की जरूरत, क्यों तुम्हें महसूस होगी
तुमने शायद अपनी कोई दुनिया बसा ली होगी
भरम हुआ क्या, कभी तुम्हे यह
लगा जो जैसे में आया ,
दरवाज़े पर दस्तक की, आहट कभी तो आती होगी
दरवाज़े पर दस्तक की आहट कभी तो आती होगी
तुमने शायद अपनी कोई दुनिया बसा ली होगी
चलते चलते राहों मे, क्या अक़्सर रुक जाते हो तुम
कभी किसी की सूरत मे मेरी झलक तो आती होगी
भूल गए हो सब कुछ या, यादों मे कही में बाक़ी हूँ
बीते लम्हो की कुछ बातें कभी तो सताती होगी
ख़तो किताबत की जरूरत क्यों तुम्हें महसूस होगी
तुमने शायद अपनी कोई दुनिया बसा ली होगी
तुमने शायद अपनी कोई दुनिया बसा ली होगी
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