ख़ुदा कहाँ रहता है :-
ज़मी पर है या आसमाँ पर रहता है
क्या है, पता उसका, वो ख़ुदा कहाँ रहता है
क्या है, पता उसका वो ख़ुदा कहाँ रहता है
ख़ाली पेट मे रहता है, सूखे गले मे रहता है
ना ज़मी पर है, ना आसमाँ पर रहता है
भूखे की भूख मे रहता है
किसी प्यासे की प्यास मे रहता है
ढूढ़ते हो जिस ख़ुदा को, तुम मंदिर और मस्जिद मे.
वो यतीमों के, चीथड़ों मे लिपटे जिस्म मे रहता है.
वो यतीमों के, चीथड़ों मे लिपटे जिस्म मे रहता है.
यही है, पता उसका वो ख़ुदा यहीं रहता है
वो ख़ुदा यहीं रहता है ...
तुम्हारी दुआ मे नहीं, तुम्हारी पूजा मे नहीं
दिखावे की किसी इबादत मे नहीं
तुम्हारी दुआ मे नहीं, तुम्हारी पूजा मे नहीं
किसी चढ़ावे मे नहीं, किसी चादर मे नहीं
वो कही किसी, मज़लूम की आहों मे रहता है
यही है, पता उसका वो ख़ुदा यहीं रहता है
लोबान की महक मे नहीं , इत्र की खुशबूः मे नहीं
घी के जलते दीयों मे नहीं, आलीशान झूमरो, की रौशनी मे नहीं
आलीशान झूमरो, की रौशनी मे नहीं
वो कही किसी
वो कही किसी, टूटी हुई, अँधेरी झोपडी मे रहता है
ढूढ़ते हो जिस ख़ुदा को तुम मंदिर और मस्जिद मे
वो वही बाहिर बैठे किसी मजबूर की मजबूरी मे रहता है
भूखे की भूख मे रहता है
किसी प्यासे की प्यास मे रहता है
ना ज़मी पर है, ना आसमाँ पर रहता है
ना ही मंदिर मे रहता है ना मस्जिद मे रहता है
ख़ुदा इंसानियत की हर अदा मे रहता है
वो यतीमों के, चीथड़ों मे लिपटे जिस्म मे रहता है
भूखे की भूख मे रहता है
किसी प्यासे की प्यास मे रहता है .
ख़ुदा इंसानियत की हर अदा मे रहता है
ख़ुदा इंसानियत की हर अदा मे रहता है
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