Eid Celebration:- 

Celebrate the festival in a joyous way,
prepare yourself for Eid
In a heartwarming, special way
Stems not made of weft,
Nor designed to show off.
Wear the garments of kindness,
Woven from love, never to take off

Use the fragrance that's rich with care
Scent yourself with the perfume
of love and spread it everywhere.

Let your words and actions be soft as a breeze,
Be aware they cause no hurt, no unease
Keep kindness sweet upon your tongue
And share it with the world, old or young

The only action of affection that's right,
Open your arms wide, hug everyone tight
Ego, anger, and superiority—
Release them, set your spirit free in all
To friends, to relatives, to strangers, gift
Beautiful feelings to all

Celebrate the festival in a joyous way,
prepare yourself for Eid
In a heartwarming, special way
prepare yourself for Eid
In a heartwarming, special way
© 2019 Mohammed zaki ansari

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ख़ुदा कहाँ रहता है  :- 


ज़मी पर है या आसमाँ पर रहता है 

क्या है, पता उसका, वो ख़ुदा कहाँ रहता है 

क्या है, पता उसका वो ख़ुदा कहाँ रहता है 

ख़ाली पेट मे रहता है, सूखे गले मे रहता है 

ना ज़मी पर है, ना आसमाँ पर रहता है 

भूखे की भूख मे रहता है 

किसी प्यासे की प्यास मे रहता है

ढूढ़ते हो जिस ख़ुदा को,  तुम मंदिर और मस्जिद मे.

वो यतीमों के,  चीथड़ों मे लिपटे जिस्म मे रहता है.

वो यतीमों के,  चीथड़ों मे लिपटे जिस्म मे रहता है.

यही  है, पता उसका वो ख़ुदा यहीं रहता है 

वो ख़ुदा यहीं रहता है  ... 


तुम्हारी दुआ मे नहीं, तुम्हारी पूजा मे नहीं 

दिखावे की किसी इबादत मे नहीं 

तुम्हारी दुआ मे नहीं, तुम्हारी पूजा मे नहीं 

किसी चढ़ावे मे नहीं, किसी चादर मे नहीं 

वो कही किसी, मज़लूम की आहों मे रहता है 

यही  है, पता उसका वो ख़ुदा यहीं रहता है 


लोबान की महक मे नहीं , इत्र की खुशबूः मे नहीं 

घी के जलते दीयों मे नहीं, आलीशान झूमरो, की रौशनी मे नहीं 

आलीशान झूमरो, की रौशनी मे नहीं 

वो कही किसी 

वो कही किसी, टूटी हुई, अँधेरी झोपडी मे रहता है


ढूढ़ते हो जिस ख़ुदा को तुम मंदिर और मस्जिद मे 

वो वही बाहिर बैठे किसी मजबूर की मजबूरी मे रहता है


भूखे की भूख मे रहता है 

किसी प्यासे की प्यास मे रहता है 

ना ज़मी पर है, ना आसमाँ पर रहता है 


ना ही मंदिर मे रहता है ना मस्जिद मे रहता है 

ख़ुदा इंसानियत की हर अदा मे रहता है 


वो यतीमों के,  चीथड़ों मे लिपटे जिस्म मे रहता है

भूखे की भूख मे रहता है 

किसी प्यासे की प्यास मे रहता है .

ख़ुदा इंसानियत की हर अदा मे रहता है 

ख़ुदा इंसानियत की हर अदा मे रहता है

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 Khato Kitabat :- 


ख़तो किताबत की जरूरत क्यों तुम्हें महसूस होगी

तुमने शायद अपनी कोई दुनिया बसा ली होगी 

ख़तो किताबत की जरूरत क्यों तुम्हें महसूस होगी


केसा होगा तेरा, घर वो जहाँ में नहीं हूँ 

यह सोच कर ही खुश हो जाऊं तस्वीर मेरी लगा ली होगी 

ख़तो किताबत की जरूरत, क्यों तुम्हें महसूस होगी

तुमने शायद अपनी कोई दुनिया बसा ली होगी 


भरम हुआ क्या, कभी तुम्हे यह

लगा जो जैसे में आया ,

दरवाज़े पर दस्तक की, आहट कभी तो आती होगी 

दरवाज़े पर दस्तक की आहट कभी तो आती होगी 

तुमने शायद अपनी कोई दुनिया बसा ली होगी 


चलते चलते राहों मे, क्या अक़्सर रुक जाते हो तुम

कभी किसी की सूरत मे मेरी झलक तो आती होगी


भूल गए हो सब कुछ या, यादों मे कही में बाक़ी हूँ

बीते लम्हो की कुछ बातें कभी तो सताती होगी 

ख़तो किताबत की जरूरत क्यों तुम्हें महसूस होगी

तुमने शायद अपनी कोई दुनिया बसा ली होगी 

तुमने शायद अपनी कोई दुनिया बसा ली होगी